कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
सोचती हूं आज कागज पर
अपनी सब बातें लिख दूंँ।
कुछ कही कुछ अनकही
सब व्यथा लिख दूं।
जीवन के सारे उतार-चढ़ाव
तुम संग में साझा कर दूं।
कुछ कही कुछ अनकही
सब बातें कर दूं।
तुम्हारा जीवन भी है ऐसा
सुख-दुख के तारों से बंधा।
आओ सब बातें साझा कर ले
कुछ कही कुछ अनकही
दास्तां कागज से कर दे
जीवन संघर्षों की कहानी
इसमें कभी प्यार की रवानी
कभी आते तूफान यहांँ
मौजों से उतार-चढ़ाव यहांँ
हंसकर पार इन्हें सब करते हैं
कुछ कह पाते कुछ चुप रह जाते हैं।
बातें तुम्हारी कैसे समझे
अपनी-अपनी सब कह जाते
सबको लगता है इस जहांँ में
सुखी है बस दूसरा यहांँ में
कर्मों की बस अजब कहानी
कैसे कहूं मैं अपनी जबानी।
तेरी मेरी सबकी एक कहानी।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
11.3.2022
प्रतियोगिता के लिए
Shrishti pandey
12-Mar-2022 04:09 PM
Nice
Reply
Punam verma
12-Mar-2022 08:05 AM
Nice one
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Abhinav ji
11-Mar-2022 11:36 PM
Very nice👍
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